tag:blogger.com,1999:blog-7592286482463845802.post1982632944346320786..comments2023-07-24T17:33:21.976+05:30Comments on भीगी है रात "फ़ैज़" ग़ज़ल इब्तिदा करो...: हमीं से सुन्नत-ए-मंसूर-ओ-क़ैस ज़िन्दा हैं...richahttp://www.blogger.com/profile/17341853830091317236noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7592286482463845802.post-75121549625621710412010-11-18T14:32:59.538+05:302010-11-18T14:32:59.538+05:30जिस नज़्म से आगाज़ किया है वो हमारे मुह को टेढ़ा कर...जिस नज़्म से आगाज़ किया है वो हमारे मुह को टेढ़ा करने के लिए काफी है ..... एक बार में सही लफ्ज़ ज़ुबां से निकलते ही नहीं ...पूरा चेहरा कोशिश करे तो कामयाबी मिले ......लेकिन उर्दू सिखा के ही मानोगी .....ये जों जग भी गए तो बगावत का हुनर नहीं है इनमें .....दौड़ जारी है जाना कहाँ मालूम नहीं हैप्रियाhttps://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7592286482463845802.post-77224435014665828082010-11-18T13:11:29.010+05:302010-11-18T13:11:29.010+05:30बहुत सुन्दर... ऐसे कितने ही रचनाएँ लिखी गयी ... कई...बहुत सुन्दर... ऐसे कितने ही रचनाएँ लिखी गयी ... कई बार तो समय पर जनता पहचान भी नहीं पाई... एक लेखक, शायर और कवि की बातें हर तरफ बराबर मार करती है.... जो समझ गए ठीक वरना लोग उसे प्रसंग विशेष या जीवन से जोड़ कर देखते हैं.<br /><br />बहुत सुन्दर और मार्क नज़्म है.... शुक्रियासागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.com