tag:blogger.com,1999:blog-7592286482463845802.post6475630685202363892..comments2023-07-24T17:33:21.976+05:30Comments on भीगी है रात "फ़ैज़" ग़ज़ल इब्तिदा करो...: तेरे ग़म को जाँ की तलाश थी, तेरे जाँ-निसार चले गये...richahttp://www.blogger.com/profile/17341853830091317236noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7592286482463845802.post-22849998462709265922017-10-21T14:39:55.244+05:302017-10-21T14:39:55.244+05:30 बेहतरीन... बेहतरीन...संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7592286482463845802.post-60749596986224141772013-06-27T13:30:49.945+05:302013-06-27T13:30:49.945+05:30bahut sundar prayas. nayee gazle aur najme upload ...bahut sundar prayas. nayee gazle aur najme upload karte rhiye.Desh Videshhttps://www.blogger.com/profile/06675462880355308783noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7592286482463845802.post-60430888863955249182011-06-27T22:20:14.055+05:302011-06-27T22:20:14.055+05:30फ़ैज़ की शायरी और आबिदा परवीन जी की आवाज़ ............फ़ैज़ की शायरी और आबिदा परवीन जी की आवाज़ ..........और क्या कहना .. बेहतरीन....संजीव द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/10831744711880635796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7592286482463845802.post-12157210578202818702011-06-27T14:16:40.309+05:302011-06-27T14:16:40.309+05:30आपके फैज-प्रेम ने प्रभावित किया।आपके फैज-प्रेम ने प्रभावित किया।Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7592286482463845802.post-52823101495045233452011-06-22T18:21:27.623+05:302011-06-22T18:21:27.623+05:30बिना लेख पढ़े ये लिख रहा हूँ, क्योंकि अगर उसकी पकड...बिना लेख पढ़े ये लिख रहा हूँ, क्योंकि अगर उसकी पकड़ में आ गया तो अपना भूल जाऊँगा. <br /><br />इन दिनों फैज़ को खूब पढ़ा, नहीं इन दिनों फैज़ पर खूब पढ़ा. गीतकार इरशाद कामिल का लेख कि फैज़ कैसे फ़िल्मी दुनिया के गीतों में भी आते हैं. फैज़ का दखल इतना नेचुरल है जैसे कभी राजेंदर कुमार ने कहा था "कोई एक्टर अपने दिल पर हाथ रख कर कह दे कि उसने दीलिप साब को कॉपी नहीं कि हो" या फिर अजय देवगन कहते हैं "अमिताभ कि अदायगी आने अनजाने हमारे जीवन में शामिल है" <br /><br />फैज़ विरले शायर थे, ग़ालिब के लम्बे अरसे बाद एक दौर चला था फैज़, मजाज़ का ये बड़े मशहूर हुए... फैज़ को तो खैर कोई नहीं छू पाया. ग़ालिब के सबसे चुनौती भरे शेर कह जाने के बाद फैज़ ही हैं जो कलम कि नोक लगते हैं. <br /><br />उनके कहने में शब्द किसी कुंदन के माफिक तपे हुए होते हैं.सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.com